Search This Blog

Friday, June 3, 2011

Gajal




मोहब्बतों  में  अगर  को इ   रस्म  ओ  राह   नह  हो 
सकूं  तबाह  नह  हो , ज़िन्दगी  गुनाह  नह  हो 
कुत्च  एतेदा l भी  लाजिम  है  दिल लगी  के  लिएय
किसी  से  प्यार  अगर  हो  तो  बेपनाह  नह  हो 
इस  एह्तयात  से  मई  तेरे  साथ  चलता  हों
तेरी  निगाह  से  आगे  मेरी   निगाह  नह  हो 
मेरा  वजूद  है  सचाइओन  का आइना
यह  ओऊ र  बात   कह   मेरा  कोई  गवाह   नह  हो 

No comments:

Post a Comment